धनतेरस के शुभ अवसर से ठीक पहले भारत के लिए एक बड़ी वित्तीय सफलता सामने आई है। $10$ अक्टूबर को समाप्त हुए सप्ताह में देश का स्वर्ण भंडार (Gold Reserve) पहली बार $100$ अरब डॉलर के ऐतिहासिक स्तर को पार कर गया है, जो वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता के बीच एक मजबूत संकेतक है। आँकड़ों के अनुसार, समीक्षाधीन सप्ताह में सोने का मूल्य $3.6$ अरब डॉलर बढ़कर $102.4$ अरब डॉलर हो गया। हालांकि, इस दौरान देश का कुल विदेशी मुद्रा भंडार $2.2$ अरब डॉलर घटकर $697.8$ बिलियन डॉलर पर आ गया।
सोने की हिस्सेदारी $14.7\%$ के रिकॉर्ड स्तर पर
कुल विदेशी मुद्रा भंडार (Total India Gold Reserve) में सोने की हिस्सेदारी बढ़कर $14.7\%$ हो गई है। यह आंकड़ा $1996-97$ के बाद से सबसे उच्चतम स्तर को दर्शाता है। यह महत्वपूर्ण वृद्धि पिछले एक दशक में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा किए गए स्थिर संचय और सोने के वैश्विक मूल्य में जबरदस्त वृद्धि दोनों का परिणाम है। एक दशक पहले यह हिस्सेदारी लगभग $7\%$ थी, जो अब लगभग दोगुनी होकर $15\%$ के करीब पहुँच गई है।
समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान, विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे बड़ा घटक, विदेशी मुद्रा आस्तियां, $5.6$ अरब डॉलर घटकर $572.1$ अरब डॉलर रह गईं। इसके अलावा, विशेष आहरण अधिकार ($SDR$) $130$ मिलियन डॉलर गिरकर $18.7$ बिलियन डॉलर हो गया, जबकि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ($IMF$) के साथ आरक्षित स्थिति $36$ मिलियन डॉलर से घटकर $4.6$ बिलियन डॉलर हो गई।
मूल्य वृद्धि का कारण: वैश्विक कीमतें, खरीद धीमी
आरबीआई द्वारा सोने का संचय इस साल धीमा रहा है। पिछले साल की लगभग मासिक खरीदारी के विपरीत, $2025$ के पहले नौ महीनों में से केवल चार में ही खरीद हुई है। केंद्रीय बैंक ने जनवरी से सितंबर के बीच केवल $4$ टन सोने की वृद्धि की, जो पिछले साल की समान अवधि में खरीदे गए $50$ टन से काफी कम है।
रिज़र्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने टिप्पणी की कि सोने में आई तेज़ी से देश का भंडार और मजबूत हुआ है, जिससे अब $11$ महीने के आयात को कवर किया जा सकता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि सोने की होल्डिंग्स में मौजूदा मूल्य वृद्धि का मुख्य श्रेय इस साल की नई खरीद को नहीं, बल्कि सोने के वैश्विक मूल्य में हुई लगभग $65\%$ की वृद्धि को जाता है। $10$ अक्टूबर तक भारत की सोने की होल्डिंग्स लगभग $880$ टन थी।
केंद्रीय बैंक वैश्विक स्तर पर अपनी मुद्राओं और संप्रभु ऋणों के जोखिमों के खिलाफ बचाव के लिए सोने के भंडार को लगातार बढ़ा रहे हैं। भारत के स्वर्ण भंडार का यह ऐतिहासिक स्तर, बढ़ती वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच देश की आर्थिक स्थिरता और सुरक्षा के लिए एक सकारात्मक संकेत है।