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चांदी के दाम में बंपर उछाल, बाजार में जोरदार खरीदारी का दौर जारी

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Posted On:Friday, December 19, 2025

घरेलू सर्राफा बाजार में इन दिनों चांदी की चमक सोने पर भारी पड़ रही है। सफेद धातु के दाम जिस रफ्तार से बढ़ रहे हैं, उसने निवेशकों और आम उपभोक्ताओं दोनों को हैरान कर दिया है। लगातार दूसरे दिन चांदी ने एक नया कीर्तिमान स्थापित करते हुए यह साबित कर दिया है कि वर्तमान बाजार स्थितियों में यह सबसे 'हॉट' कमोडिटी बन चुकी है।

चांदी की रिकॉर्ड तोड़ छलांग: 2 लाख के पार नया सफर

दिल्ली के सर्राफा बाजार में गुरुवार को चांदी की कीमतों ने इतिहास रच दिया। ऑल इंडिया सर्राफा एसोसिएशन के आंकड़ों के अनुसार, चांदी 1,800 रुपये की नई बढ़त के साथ 2,07,600 रुपये प्रति किलो के सर्वकालिक उच्च स्तर (All-time High) पर पहुंच गई है।

उल्लेखनीय है कि बुधवार को ही चांदी ने 7,300 रुपये की ऐतिहासिक बढ़त के साथ पहली बार 2 लाख रुपये के मनोवैज्ञानिक स्तर को पार किया था। मात्र दो दिनों के भीतर चांदी में करीब 9,000 रुपये प्रति किलो का उछाल आना बाजार में चांदी की भारी किल्लत और जबरदस्त मांग को दर्शाता है।

2025: चांदी के लिए 'गोल्डन' साल

साल 2025 में चांदी के प्रदर्शन ने दुनिया भर के एसेट क्लासेस को पीछे छोड़ दिया है।

  • रिटर्न का गणित: 1 जनवरी 2025 को चांदी का भाव लगभग 90,500 रुपये था। आज यह 2,07,600 रुपये है।

  • मुनाफा: महज एक साल के भीतर चांदी ने निवेशकों को 129% से ज्यादा का रिटर्न दिया है। यानी अगर किसी ने साल की शुरुआत में चांदी में निवेश किया था, तो उसकी पूंजी अब दोगुनी से भी अधिक हो चुकी है।

  • सोना बनाम चांदी: सोने की कीमतें फिलहाल 1,36,500 रुपये प्रति 10 ग्राम के आसपास स्थिर बनी हुई हैं। निवेशकों का झुकाव अब सोने के मुकाबले चांदी की ओर अधिक दिख रहा है क्योंकि इसमें वृद्धि की संभावना अधिक नजर आ रही है।

क्यों लगी है चांदी की कीमतों में आग?

बाजार विशेषज्ञों के मुताबिक, चांदी की इस अविश्वसनीय रैली के पीछे तीन मुख्य कारण हैं:

  1. औद्योगिक मांग (Industrial Demand): चांदी अब केवल आभूषणों तक सीमित नहीं है। सोलर पैनल (Photovoltaic cells), इलेक्ट्रिक वाहन (EV) और आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक्स में चांदी का बड़े पैमाने पर उपयोग हो रहा है। रिन्यूएबल एनर्जी की ओर बढ़ते वैश्विक रुझान ने इसकी मांग को आसमान पर पहुंचा दिया है।

  2. सप्लाई का संकट: चांदी की वैश्विक आपूर्ति पिछले पांच वर्षों से मांग के मुकाबले कम बनी हुई है। खदानों से उत्पादन सीमित है, जबकि खपत हर साल नए रिकॉर्ड बना रही है।

  3. अंतरराष्ट्रीय कारक: वैश्विक बाजारों में भी चांदी की कीमतें 66 डॉलर प्रति औंस के करीब बनी हुई हैं। डॉलर इंडेक्स में उतार-चढ़ाव और भू-राजनीतिक अस्थिरता ने भी सुरक्षित निवेश (Safe Haven) के रूप में चांदी की ओर निवेशकों को आकर्षित किया है।


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