उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पूर्व भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने चुनावी मोर्चे पर रणनीतिक कदम तेज कर दिए हैं। पार्टी ने केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल को यूपी का चुनाव प्रभारी नियुक्त कर यह संकेत दे दिया है कि इस बार संगठनात्मक ढांचा, उम्मीदवार चयन और सामाजिक संतुलन को प्राथमिकता दी जाएगी। गोयल जल्द ही राज्य का दौरा करेंगे और चुनाव से जुड़ी तैयारियों की विस्तृत समीक्षा करेंगे।
2-3 दिनों में नए प्रदेश अध्यक्ष का ऐलान संभव
सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी आने वाले 2 से 3 दिनों में प्रदेश अध्यक्ष के नए नाम की घोषणा कर सकती है। पार्टी नेतृत्व इस बार ओबीसी समुदाय के किसी प्रभावशाली चेहरे को प्रदेश की जिम्मेदारी सौंपने पर गंभीरता से विचार कर रहा है। इसका उद्देश्य ओबीसी मतदाताओं में भरोसा मजबूत करना और राजनीतिक संदेश देना बताया जा रहा है। चुनावी समीकरणों में यह समुदाय महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, इसलिए यह निर्णय रणनीतिक दृष्टि से बेहद अहम माना जा रहा है।
गोयल के नेतृत्व में रणनीतिक तालमेल होगा मजबूत
पीयूष गोयल को जिम्मेदारी मिलने के साथ ही केंद्रीय नेतृत्व ने साफ किया है कि चुनावी तैयारी में अब किसी भी स्तर पर शिथिलता नहीं बरती जाएगी। गोयल की छवि एक संगठित, तेज़ निर्णय लेने वाले और रणनीतिक सोच रखने वाले नेता की रही है। उनके जिम्मे केवल चुनाव का संचालन ही नहीं, बल्कि—
-
संगठनात्मक समन्वय
-
उम्मीदवार चयन
-
बूथ स्तर पर प्रबंधन
-
जनसंपर्क अभियान
-
प्रचार तंत्र का विश्लेषण
जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों की भी निगरानी शामिल होगी। माना जा रहा है कि उनके नेतृत्व में संगठनात्मक कार्यों की गति और तालमेल दोनों में तेजी आएगी।
प्रदेश दौरे में होगी व्यापक समीक्षा
बीजेपी नेतृत्व के अनुसार, पीयूष गोयल उत्तर प्रदेश पहुंचकर पार्टी की चुनावी तैयारियों का जिला स्तर तक मूल्यांकन करेंगे। वे आगामी दिनों में कोर ग्रुप की बैठकों, पदाधिकारियों की समीक्षा और बूथ प्रबंधन की दिशा में कार्य की गति को बढ़ाने पर जोर देंगे। साथ ही नए प्रदेश अध्यक्ष के चयन और घोषणा की प्रक्रिया को भी अंतिम रूप देंगे। इसी दौरान चुनावी रैलियों, पदयात्राओं, डिजिटल कैंपेन और मतदाता आधारित डेटा प्रबंधन को लेकर भी रणनीति तय की जाएगी।
ओबीसी समीकरण साधने की कोशिश
सूत्रों का कहना है कि इस बार पार्टी की रणनीति स्पष्ट रूप से ओबीसी कार्ड खेलने की ओर झुकती दिख रही है। हाल के वर्षों में ओबीसी मतदाताओं की राजनीतिक भूमिका और प्रभाव बढ़ा है, जिसके मद्देनज़र पार्टी एक बार फिर नए नेतृत्व के माध्यम से इस वर्ग को साधने की कोशिश कर रही है। प्रदेश अध्यक्ष का ओबीसी चेहरा न केवल सामाजिक प्रतिनिधित्व को मजबूत करेगा, बल्कि चुनावी दौर में समर्थन आधार को विस्तारित करने में भी मदद करेगा।
संगठन में ऊर्जा भरने की तैयारी
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि हर चुनाव से पहले नेतृत्व और संगठनात्मक जिम्मेदारी में बदलाव करना बीजेपी की रणनीति का पुराना हिस्सा रहा है। इससे पार्टी कार्यकर्ताओं में ऊर्जा का संचार होता है और नए नेतृत्व के माध्यम से ताजगी और संतुलन आता है। इस बार भी इसी रणनीति के तहत परिवर्तन को राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।