मुंबई, 15 मई, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री विजय शाह द्वारा कर्नल सोफिया कुरैशी पर दिए गए विवादित बयान को लेकर दर्ज FIR की भाषा पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई है। गुरुवार को हाईकोर्ट की डबल बेंच ने साफ तौर पर कहा कि मंत्री के खिलाफ दर्ज की गई FIR केवल खानापूर्ति लगती है और पुलिस जांच को अब कोर्ट की निगरानी में चलाया जाएगा। हाईकोर्ट ने टिप्पणी की कि इस तरह के संवेदनशील मामलों में निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है, ताकि जांच किसी राजनीतिक या प्रशासनिक दबाव में प्रभावित न हो। अदालत ने कहा कि अब कोर्ट स्वयं जांच की प्रगति पर नजर रखेगा। इस मामले में अगली सुनवाई छुट्टियों के बाद की जाएगी। उधर, सुप्रीम कोर्ट में विजय शाह द्वारा दाखिल याचिका पर भी मंत्री को राहत नहीं मिली। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई से इनकार करते हुए पूछा कि वे पहले हाईकोर्ट क्यों नहीं गए। अदालत ने मंत्री को फटकार लगाते हुए कहा, आप किस तरह के बयान दे रहे हैं? देखना चाहिए कि हालात कैसे हैं। आप एक जिम्मेदार पद पर हैं, आपको जिम्मेदारी के साथ पेश आना चाहिए।
वहीं, हाईकोर्ट के जस्टिस अतुल श्रीधरन और जस्टिस अनुराधा शुक्ला की खंडपीठ ने गुरुवार को अपना आदेश सुनाते हुए कहा था, एफआईआर को पूरी तरह से देखने पर संदिग्ध के कार्यों का एक भी उल्लेख नहीं मिला, जो उसके खिलाफ दर्ज किए गए अपराधों के तत्वों को संतुष्ट करता हो। FIR इस तरह दर्ज की गई ताकि यदि पूर्ववर्ती CrPC की धारा 482 के अंतर्गत चुनौती दी जाती है तो इसे रद्द किया जा सके, क्योंकि इसमें भौतिक विवरण की कमी है। न्यायालय निर्देश देता है कि 14 मई का पूरा आदेश FIR के पैरा 12 के भाग के रूप में पढ़ा जाएगा। दरअसल, मंत्री विजय शाह ने कर्नल सोफिया कुरैशी पर विवादित बयान दिया था। उन्हें आतंकियों की बहन बताया था। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने बुधवार को खुद यह केस उठाया। जबलपुर हाईकोर्ट के जस्टिस अतुल श्रीधरन और जस्टिस अनुराधा शुक्ला की बेंच ने डीजीपी को मंत्री शाह पर एफआईआर के निर्देश दिए थे।