मुंबई, 16 अक्टूबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। भारत में बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों के मामलों में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। चाइल्डलाइट ग्लोबल चाइल्ड सेफ्टी इंस्टीट्यूट की ताजा रिपोर्ट ‘इंटू द लाइट इंडेक्स 2025’ के मुताबिक, 2017 से 2022 के बीच ऐसे मामलों में 94 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड अगेंस्ट सेक्शुअल ऑफेंस (POCSO) एक्ट के तहत दर्ज केस 33,210 से बढ़कर 64,469 तक पहुंच गए हैं। रिपोर्ट का कहना है कि बढ़ते आंकड़ों के बावजूद सजा की दर 90 प्रतिशत से ज्यादा बनी हुई है, जो मजबूत कानून व्यवस्था और बेहतर रिपोर्टिंग सिस्टम की ओर इशारा करता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अपराध के आंकड़ों में पारदर्शिता से निगरानी और कार्रवाई आसान होती है। इसे वैश्विक स्तर पर एक मानवीय त्रासदी बताते हुए रिपोर्ट ने कहा कि बच्चों के खिलाफ अपराध को सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल की तरह लिया जाना चाहिए। संस्था के निदेशक स्टैनफील्ड ने कहा कि शोषण इसलिए बढ़ रहा है क्योंकि समाज ने इसे मौन स्वीकृति दे रखी है। अगर इच्छाशक्ति दिखाई जाए, तो इसे रोका जा सकता है। 2012 में भारत में बच्चों को यौन अपराधों से सुरक्षा देने के लिए POCSO कानून लागू किया गया था। इसके बावजूद, 2017 के बाद से ऐसे मामलों में दोगुनी से अधिक वृद्धि दर्ज की गई है। रिपोर्टिंग बढ़ने का मतलब यह भी है कि अब लोग चुप नहीं रहते, हालांकि असल में मामलों की संख्या इससे कहीं ज्यादा हो सकती है।
भारत, नेपाल और श्रीलंका में किए गए सर्वे में सामने आया कि हर आठ में से एक बच्चा 18 साल से पहले यौन उत्पीड़न या बलात्कार का शिकार हुआ है। तीनों देशों में करीब 54 मिलियन बच्चे इससे प्रभावित हैं, यानी कुल बाल जनसंख्या का लगभग 12.5 प्रतिशत। रिपोर्ट बताती है कि सिर्फ भारत में ही 2024 में 2.25 मिलियन मामले दर्ज हुए, जो दक्षिण एशिया में सबसे ज्यादा हैं।
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में बच्चों के खिलाफ अपराध की दर 39.9 प्रति एक लाख बाल जनसंख्या रही, जो 2022 में 36.6 थी। इनमें 45 प्रतिशत मामले अपहरण के और करीब 38 प्रतिशत मामले पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज हुए। चौंकाने वाली बात यह है कि अधिकतर अपराधी पीड़ित के परिचित ही थे—कभी परिवार का सदस्य, कभी रिश्तेदार या कोई दोस्त। राज्यवार आंकड़ों में मध्य प्रदेश सबसे आगे रहा, जहां 2023 में बच्चों पर अपराध के 22,393 मामले दर्ज किए गए। देशभर में साल भर में कुल 1.77 लाख केस सामने आए, जो 2022 की तुलना में 9.2 प्रतिशत ज्यादा हैं। औसतन हर दिन 486 और हर तीन मिनट में एक अपराध बच्चों के खिलाफ दर्ज हुआ।