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इतिहास का सबसे छोटा दिन, आज पृथ्वी ने तय समय से पहले पूरा किया चक्कर, जानिए पूरा मामला

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Posted On:Wednesday, July 9, 2025

मुंबई, 09 जुलाई, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। 9 जुलाई 2025 को पृथ्वी ने अपनी धुरी पर एक पूरा चक्कर सामान्य दिनों की तुलना में 1.3 से 1.51 मिली सेकेंड पहले पूरा कर लिया। वैज्ञानिकों के अनुसार यह अब तक का सबसे छोटा दिन माना जा सकता है। ऐसा ही कुछ 22 जुलाई और 5 अगस्त को भी होने की संभावना है, जब पृथ्वी फिर समय से पहले अपनी परिक्रमा पूरी करेगी। इससे पहले 5 जुलाई 2024 को पृथ्वी ने 1.66 मिली सेकेंड पहले घूमना पूरा कर लिया था। पृथ्वी सामान्य रूप से 24 घंटे यानी 86400 सेकेंड में अपनी धुरी पर एक चक्कर पूरा करती है, जिसे एक दिन कहा जाता है। लेकिन हाल के वर्षों में वैज्ञानिकों ने देखा है कि पृथ्वी की गति स्थिर नहीं रहती। यह गति सूर्य और चंद्रमा की स्थिति, चुंबकीय क्षेत्र में बदलाव, ध्रुवों पर जमी बर्फ के पिघलने और समुद्र के स्तर जैसे कई कारणों से प्रभावित होती है। लाइव साइंस की एक रिपोर्ट के अनुसार, चंद्रमा इस बदलाव का प्रमुख कारण है। जब चंद्रमा पृथ्वी के भूमध्य रेखा से दूर होकर ध्रुवों के पास होता है, तो उसका गुरुत्वाकर्षण खिंचाव पृथ्वी के घूमने की गति को तेज कर देता है। यह उसी तरह होता है जैसे कोई लट्टू ऊपर से पकड़ने पर ज्यादा तेजी से घूमता है। इस खिंचाव के चलते पृथ्वी पहले की तुलना में थोड़ा जल्दी घूम जाती है।

वैज्ञानिकों के अनुसार, अरबों साल पहले पृथ्वी मात्र 19 घंटे में एक चक्कर पूरा कर लेती थी। उस समय चंद्रमा पृथ्वी के बहुत पास था और उसका गुरुत्व बल बहुत अधिक प्रभाव डालता था। जैसे-जैसे चंद्रमा पृथ्वी से दूर हुआ, उसका असर कम होता गया और पृथ्वी की गति धीमी होती गई, जिससे दिन लंबे होने लगे। लेकिन अब वैज्ञानिकों ने देखा है कि पिछले कुछ सालों से पृथ्वी की गति फिर से बढ़ने लगी है, जो हैरान करने वाली बात है। 5 जुलाई 2024 को सबसे तेज घूमने का रिकॉर्ड दर्ज किया गया था, जब पृथ्वी ने अपने एक दिन की परिक्रमा 1.66 मिली सेकेंड पहले पूरी कर ली थी। भले ही यह बदलाव आम लोगों की दिनचर्या पर असर न डाले, लेकिन वैज्ञानिकों के लिए यह बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे परमाणु घड़ी (Atomic Clock) जैसी सटीक समय मापने की प्रणालियों पर असर पड़ सकता है। अगर यह प्रक्रिया लगातार जारी रही, तो भविष्य में समय की गणना में एक नई चुनौती सामने आ सकती है। अभी तक समय को सही रखने के लिए लीप सेकंड यानी 1 सेकेंड जोड़ा जाता था, लेकिन अब संभव है कि हमें 1 सेकेंड घटाना पड़े, जिसे नेगेटिव लीप सेकंड कहा जाता है। यह बदलाव पहली बार देखने को मिल सकता है और संभावना जताई जा रही है कि 2029 तक यह प्रक्रिया अपनाई जा सकती है। पृथ्वी की इस बढ़ी गति का असर वैश्विक संचार प्रणाली पर भी हो सकता है। क्योंकि सैटेलाइट्स, नेविगेशन सिस्टम और अन्य संचार यंत्र सोलर टाइम के आधार पर काम करते हैं, जो सूर्य, चंद्रमा और तारों की स्थिति पर आधारित होता है। ऐसे में समय में मामूली बदलाव भी इन प्रणालियों को प्रभावित कर सकता है।


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