मुंबई, 15 मई, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ गुरुवार को जयपुर पहुंचे, जहां उन्होंने पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत की स्मृति में स्थापित पुस्तकालय का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने देश की मौजूदा स्थिति, प्रधानमंत्री के नेतृत्व और भैरोंसिंह शेखावत के राजनीतिक योगदान पर विस्तार से चर्चा की। उपराष्ट्रपति ने कहा, "भारत ने इस बार सिर्फ लड़ाई नहीं लड़ी है। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में एक बहुत बड़ी कूटनीतिक लड़ाई भी लड़ी है। इसे जीता भी है। जल समझौते को लेकर दुनिया को बता दिया गया कि इस पर कोई पुनर्विचार नहीं होगा, जब तक हालात सामान्य नहीं होंगे। इतनी बड़ी कार्रवाई न तो सोची गई थी।" उन्होंने भारत की आर्थिक स्थिति पर बात करते हुए कहा, अर्थव्यवस्था में भी दुनिया भारत का लोहा मान रही है। आज हम दुनिया की चौथी महाशक्ति हैं और जल्द ही तीसरी महाशक्ति बनने जा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका पर टिप्पणी करते हुए धनखड़ ने कहा, "प्रधानमंत्री को जब लगा कि भारत की अस्मिता को ललकारा गया है, तो उन्होंने बिहार की धरती से दुनिया को संदेश दिया और उस संदेश पर पूरी तरह खरे उतरे। दुनिया ने देखा आकाश का क्या मतलब है, ब्रह्मोस का क्या मतलब है। अब दुनिया ने उस ताकत को पहचाना है।"
भैरोंसिंह शेखावत की स्मृति में उन्होंने कहा, जब शेखावत जी उपराष्ट्रपति थे, तब उन्होंने सभी सांसदों को बाध्य किया कि वह अपनी संपत्ति की जानकारी सार्वजनिक करें। उनका परिचय किसी पद से नहीं हो सकता। शायद बहुत कम लोगों को पता होगा कि वह विधानसभा के साथ-साथ राज्यसभा के सदस्य भी रहे, वह भी राजस्थान से नहीं, बल्कि मध्यप्रदेश से। अपने व्यक्तिगत अनुभव साझा करते हुए धनखड़ ने कहा, "जब मैं अपने जीवन में अनिश्चय की स्थिति में था, तब माननीय भैरोंसिंह जी ने मुझे झुंझुनूं से चुनाव लड़ने के लिए कहा था। जब मैं हताश हो गया था कि शायद मंत्रिपरिषद में मेरा नाम नहीं आएगा, तब भी उन्होंने मुझे बहुत बड़ी ताकत दी। उसके बाद कोई ऐसा साल नहीं गया, जब मैं उनके दर्शन करने नहीं गया। मैं हर साल, हर महीने उनके पास जाता और कुछ न कुछ सीख कर आता था। सबसे बड़ी सीख उनकी पुस्तकों में थी।"
उन्होंने यह भी कहा, "यहां बैठे राजेंद्र राठौड़ भी इस बात के साक्षी हैं कि कब किस अखबार में क्या छपा, किसके बारे में क्या छपा – भैरोंसिंह जी के पास इस बारे में भी बहुत बड़ा खजाना था। उस समय कोई तकनीकी युग नहीं था, लेकिन उनकी कार्यशैली ऐसी थी कि मानव तकनीक जैसे समय से पहले ही उनके पास आ गई हो। धनखड़ ने शेखावत को याद करते हुए कहा, भैरोंसिंह शेखावत के अलावा शायद ही कोई व्यक्ति भारत में ऐसा होगा, जिसका लोगों से इतना ज्यादा मिलना-जुलना लगा रहता था। इसके बावजूद वह हर व्यक्ति से बिल्कुल सटीक बात करते थे। वह राजनीति के अजातशत्रु थे। दुनिया के किसी देश या प्रदेश में उनका कोई दुश्मन नहीं मिलेगा। उन्होंने राजनीति में यह परिभाषित किया था कि राजनीति में कोई दुश्मन नहीं होता है। आज हर दिल के नेतृत्व को यह सीखने की जरूरत है। राज्यसभा में बतौर उपराष्ट्रपति जब माननीय भैरोंसिंह शेखावत का आखिरी दिन था। संसद भवन की जो लाइब्रेरी है। वह खजाना है, हम जयपुर की इस लाइब्रेरी को उससे भी लिंक करेंगे। भैरोंसिंह शेखावत ने सभापति के हैसियत से जो कुछ भी कहा था। वह भी मैं यहां दे दिया है।