मुंबई, 22 अगस्त, (न्यूज़ हेल्पलाइन) मोमोज आज भारत के सबसे लोकप्रिय स्ट्रीट फूड में से एक बन गए हैं। चाहे वह स्टीम्ड हो, फ्राइड हो या तंदूरी, ये हर जगह आसानी से मिल जाते हैं। लेकिन क्या यह स्वादिष्ट व्यंजन वाकई सेहतमंद है? इस सवाल का जवाब देने के लिए, मशहूर सेलिब्रिटी न्यूट्रिशनिस्ट रुजुता दिवेकर ने अपने विचार साझा किए हैं।
मोमोज और सेहत: एक संतुलित दृष्टिकोण
रुजुता दिवेकर, जो करीना कपूर जैसी कई हस्तियों की पोषण सलाहकार हैं, मानती हैं कि मोमोज को उनके मूल स्थान पर खाना सबसे ज्यादा सेहतमंद होता है। उनका मानना है कि जब आप स्पिति या किन्नौर जैसी जगहों पर ट्रेकिंग कर रहे होते हैं, तो वहां मोमोज खाना सांस्कृतिक रूप से सबसे उपयुक्त और स्वास्थ्यवर्धक होता है। वह हमेशा घर पर बने, मौसमी और स्थानीय रूप से उपलब्ध भोजन के सेवन का समर्थन करती हैं।
क्या मोमोज का मैदा पेट में चिपक जाता है?
कई लोगों का मानना है कि मोमोज बनाने में इस्तेमाल होने वाला मैदा पेट में चिपक जाता है, जिससे पाचन संबंधी समस्याएं होती हैं। रुजुता दिवेकर इस आम धारणा को खारिज करती हैं। वह कहती हैं कि अगर कोई व्यक्ति सही और संतुलित आहार लेता है, तो सब कुछ ठीक से पच जाता है।
मोमोज खाने के लिए न्यूट्रिशनिस्ट की सलाह:
रुजुता दिवेकर के अनुसार, अगर आपकी जीवनशैली स्वस्थ है, तो हफ्ते में एक बार मोमोज का सेवन करना पूरी तरह से स्वीकार्य है। हालांकि, वह मोमोज की स्वच्छता और सामग्री की गुणवत्ता पर ध्यान देने की सलाह देती हैं। उनके मुताबिक, मोमोज खुद से ज्यादा, उन्हें बनाने में इस्तेमाल होने वाली सामग्री और साफ-सफाई बड़ी समस्या हो सकती है।
निष्कर्ष:
यह लेख इस बात पर जोर देता है कि मोमोज को कभी-कभी का आनंद लेने वाला व्यंजन माना जाना चाहिए, न कि रोज़ का। एक संतुलित जीवनशैली, जिसमें सही समय पर खाना और पर्याप्त नींद शामिल है, किसी भी व्यंजन को पचाने में मदद करती है। इसलिए, मोमोज का आनंद लेने के लिए, अपने बाकी दिनचर्या को स्वस्थ रखना सबसे महत्वपूर्ण है।