मुंबई, 11 अप्रैल, (न्यूज़ हेल्पलाइन) हमारे घर के आस-पास कई तरह की घास होती हैं जो सेहत के लिए फायदेमंद हो सकती हैं। ऐसी ही एक घास है दूर्वा, जिसे आमतौर पर दूब घास या बरमूडा घास के नाम से जाना जाता है। हालांकि इसका इस्तेमाल मुख्य रूप से पूजा-पाठ में किया जाता है, लेकिन आयुर्वेद में इसके स्वास्थ्य लाभों के लिए इसे बहुत महत्व दिया गया है।
औषधीय गुणों से भरपूर दूर्वा गंभीर सिरदर्द, माइग्रेन और कब्ज को कम कर सकती है। आयुर्वेदाचार्य दूर्वा को गुणों का खजाना बताते हैं। अगर इसका सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए तो यह स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद हो सकती है।
दूर्वा घास के स्वास्थ्य लाभ
पंजाब के बेब्स आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के डॉ. प्रमोद आनंद तिवारी आयुर्वेद में दूब घास को औषधि का भंडार बताते हैं। यह घास पेट की बीमारियों और मानसिक शांति के लिए खास तौर पर फायदेमंद है।
दूब का जूस पीने से एनीमिया की समस्या दूर होती है और हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ता है। सुबह और शाम इस घास पर नंगे पैर चलने से हाई ब्लड प्रेशर, माइग्रेन और तनाव से राहत मिलती है और आंखों की रोशनी भी बढ़ती है।
पोषण तत्व और इसके उपयोग
दूर्वा घास में कैल्शियम, आयरन, फास्फोरस, फाइबर, प्रोटीन और पोटेशियम भरपूर मात्रा में होता है। आयुर्वेदाचार्यों का कहना है कि यह घास अक्सर पार्कों में पाई जाती है और सुबह-सुबह इस पर नंगे पैर चलने से माइग्रेन का दर्द कम हो सकता है।
ताजा दूर्वा घास का रस पीने से कई तरह की समस्याओं से बचा जा सकता है। इसके नियमित सेवन से न केवल रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, बल्कि महिलाओं में मासिक धर्म के दर्द और कब्ज से भी राहत मिलती है।
माइग्रेन या सिरदर्द के लिए सुबह-शाम नंगे पैर चलना और दूब का रस पीना फायदेमंद होता है। ऐंठन, बदन दर्द, दांत दर्द, मसूड़ों से खून आना या मुंह के छाले होने पर दूब के रस को शहद या घी में मिलाकर पीने से तुरंत आराम मिलता है।