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सऊदी अरब को F-35 फाइटर जेट देगा अमेरिका, इजराइल को इस डील से क्यों हो रही दिक्कत?

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Posted On:Wednesday, November 19, 2025

वॉशिंगटन/रियाद: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सऊदी अरब को अत्याधुनिक F-35 स्टील्थ फाइटर जेट बेचने की अनुमति दे दी है। यह महत्वपूर्ण घोषणा सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के व्हाइट हाउस दौरे से ठीक पहले की गई, जो दोनों देशों के बीच मजबूत होते रणनीतिक संबंधों का संकेत है। यह रक्षा सौदा इसलिए भी बेहद खास है क्योंकि सऊदी अरब लंबे समय से अमेरिका से इस एडवांस्ड फाइटर जेट को खरीदने की कोशिश कर रहा था।

वर्तमान में, पूरे मध्य पूर्व में केवल इजराइल के पास ही यह F-35 फाइटर जेट मौजूद है, जो अपनी रडार से बच निकलने की क्षमता (Stealth Technology) के कारण किसी भी वायुसेना के लिए एक निर्णायक संपत्ति माना जाता है। सऊदी अरब को F-35 की बिक्री से मध्य पूर्व के सुरक्षा समीकरणों में बड़ा बदलाव आने की संभावना है।

क्या है F-35 स्टील्थ फाइटर जेट?

F-35 स्टील्थ फाइटर जेट को दुनिया के बेहद एडवांस्ड और हाईटेक लड़ाकू विमानों में गिना जाता है। अमेरिकी एयरोस्पेस कंपनी लॉकहीड मार्टिन (Lockheed Martin) द्वारा निर्मित यह जेट एक 'स्टील्थ वॉरियर' है, जिसे दुश्मन के रडार आसानी से पकड़ नहीं पाते हैं।

  • गति: F-35 की अधिकतम गति Mach 1.6 (ध्वनि की गति से 1.6 गुना) है।

  • प्रौद्योगिकी: इसका टारगेटिंग सिस्टम, सेंसर और रडार सिस्टम दुनिया में सबसे उन्नत कहे जाते हैं, जो इसे हवा से हवा और हवा से सतह पर सटीकता से मार करने में सक्षम बनाते हैं।

  • कीमत: इसकी अनुमानित कीमत लगभग 10 करोड़ डॉलर (करीब ₹830 करोड़) प्रति यूनिट है।

इजरायल क्यों है चिंतित?

इस डील को लेकर सबसे बड़ी चिंता इजरायल के सुरक्षा प्रतिष्ठानों में देखी जा रही है। इजरायल दशकों से मध्य पूर्व में अमेरिका का सबसे करीबी रक्षा साझेदार रहा है और उसके पास सैन्य प्रौद्योगिकी में एक गुणात्मक बढ़त (Qualitative Military Edge - QME) रही है। F-35 जेट इजरायल की इसी बढ़त का आधार रहा है। इजरायल के लिए F-35 को सऊदी को बेचने का ऐलान एक बड़ा झटका है। इजरायली एयर फोर्स ने इस संबंध में अपनी सरकार को एक औपचारिक आपत्ति पत्र भी सौंपा है। इजरायल का मुख्य डर यह है कि सऊदी के पश्चिमी सैन्य ठिकानों से उड़ान भरकर F-35 जेट मिनटों में इजरायल की सीमा तक पहुंच सकता है, जिससे इजरायल की सुरक्षा जोखिम में पड़ सकती है।

डील की शर्त: सामान्यीकरण की मांग

इजरायल इस बिक्री का विरोध करने के बावजूद, सऊदी अरब के साथ अपने संबंधों को सामान्य बनाने की पुरजोर कोशिश कर रहा है। तनाव के इस विरोधाभासी माहौल के बीच, इजरायली अधिकारियों ने ट्रंप प्रशासन से साफ शब्दों में यह मांग रखी है कि F-35 की डील को तभी आगे बढ़ाया जाए, जब सऊदी अरब इजरायल के साथ अपने रिश्तों को पूरी तरह सामान्य करे।

सुरक्षा चिंताओं के कारण, इजरायल एक और मांग पर जोर दे रहा है: यदि F-35 सऊदी को दिए जाते हैं, तो उन्हें देश के पश्चिमी एयरबेस पर तैनात न किया जाए। यह प्रतिबंध इजरायल को सऊदी के किसी भी संभावित हमले से तत्काल सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से है।

ट्रंप प्रशासन द्वारा सऊदी को F-35 बेचने की अनुमति देना न केवल सऊदी अरब की सैन्य क्षमता को अभूतपूर्व रूप से बढ़ाएगा, बल्कि यह मध्य पूर्व की शक्ति संतुलन को भी बदल देगा। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि इजरायल अपनी सुरक्षा चिंताओं को दूर करने के लिए सऊदी अरब और अमेरिका के साथ किस तरह की वार्ता करता है।


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