अमेरिका ने 14 जून को अपनी सेना के 250वें स्थापना दिवस के अवसर पर पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल सैयद आसिम मुनीर को अमेरिका बुलाकर जोरदार स्वागत किया। यह कदम ऐसे समय में आया है जब भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है, इसलिए इस कदम ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं कि आखिर अमेरिका ने इस संवेदनशील वक्त में पाकिस्तान के साथ दोस्ती का हाथ क्यों बढ़ाया?
ऑपरेशन सिंदूर का असर और अमेरिकी रणनीति
हाल ही में भारत के ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के कई आतंकी ठिकानों और एयरबेस पर हमले हुए, जिनसे पाकिस्तान को भारी सामरिक और कूटनीतिक नुकसान उठाना पड़ा। खासकर जकोबाबाद और सरगोधा एयरबेस पर हुए हमलों में अमेरिकी F-16 फाइटर जेट्स को भी नुकसान पहुंचने का दावा हुआ था। इस वजह से पाकिस्तान ने अमेरिका से दूरी बनाई थी।
अब अमेरिका की ओर से आसिम मुनीर को बुलाकर और उन्हें सम्मान देकर यह संकेत मिल रहा है कि अमेरिका पाकिस्तान के साथ संबंध सुधारने की कोशिश कर रहा है। यह दक्षिण एशिया में अपनी रणनीतिक पहुंच बनाए रखने के लिए ट्रंप प्रशासन की रणनीति भी हो सकती है।
अमेरिका का संतुलित रवैया: भारत के साथ भी, पाकिस्तान के खिलाफ नहीं
अमेरिका ने साफ कर दिया है कि वह भारत के साथ मजबूत संबंध चाहता है, लेकिन पाकिस्तान के खिलाफ नहीं है। अमेरिकी सेंट्रल कमांड के चीफ जनरल माइकल कुरिल्ला ने माना है कि पाकिस्तान की मदद के बिना ISIS जैसे आतंकी संगठन के खिलाफ लड़ाई संभव नहीं है। यह आतंकी खतरा अभी भी पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ताजिकिस्तान और उजबेकिस्तान में सक्रिय है।
अमेरिका का उद्देश्य है कि पाकिस्तान चीन की पूरी पकड़ में न जाए और एक संतुलन बनाए रखे। इसलिए वह भारत को नाराज़ किए बिना पाकिस्तान के साथ भी संबंध बनाए रखना चाहता है।
पाकिस्तान को बुलाने के पीछे असली मकसद
आसिम मुनीर को अमेरिकी सेना के स्थापना दिवस के बहाने बुलाया गया, लेकिन इसके पीछे पेंटागन में सुरक्षा सहयोग, खुफिया जानकारी साझा करने, और सैन्य सौदों पर बातचीत का उद्देश्य है। अमेरिका चाहता है कि पाकिस्तान तालिबान और अन्य आतंकी समूहों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाए, चीन के साथ अपने संबंधों पर नियंत्रण बनाए और अमेरिका को इनपुट्स दे। बदले में पाकिस्तान को अमेरिकी हथियारों की जरूरत है, जिनसे वह अपनी सैन्य ताकत बढ़ा सके।
अमेरिकी हथियारों का इस्तेमाल भारत के खिलाफ
पाकिस्तान को मिले अमेरिकी हथियारों का इस्तेमाल कई बार भारत के खिलाफ हुआ है। खासकर ऑपरेशन सिंदूर के दौरान F-16 फाइटर जेट्स का इस्तेमाल भारत के खिलाफ किया गया था। भारत ने कई बार अमेरिका से अपील की थी कि पाकिस्तान को F-16 न दिया जाए, लेकिन अमेरिका ने यह हथियार पाकिस्तान को दिए। इस कारण अमेरिकी हथियारों की तकनीकी और भरोसेमंदता पर सवाल भी उठे हैं।
निष्कर्ष:
अमेरिका का यह कदम दक्षिण एशिया में अपने रणनीतिक हितों को बनाए रखने की कोशिश के तहत आया है। वह भारत के साथ मजबूत संबंध चाहता है, लेकिन पाकिस्तान को पूरी तरह से अलग नहीं करना चाहता ताकि क्षेत्रीय आतंकवाद और चीन के बढ़ते प्रभाव को नियंत्रित किया जा सके। इस संतुलन को बनाए रखना अमेरिका की प्रमुख नीति है।