रत ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है कि उसकी ऊर्जा सुरक्षा और राष्ट्रीय हित सर्वोपरि हैं। रूस में भारत के राजदूत विनय कुमार ने अमेरिकी टैरिफ नीतियों की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि भारत अपनी नीतियों को किसी दबाव में आकर नहीं, बल्कि अपने 140 करोड़ नागरिकों की जरूरतों को ध्यान में रखकर तय करता है। उन्होंने अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए 25% अतिरिक्त टैरिफ को “अनुचित, अव्यवहारिक और गलत” करार दिया है।
🇮🇳 “जहां से सस्ता तेल मिलेगा, वहीं से खरीदेंगे”: भारत का स्पष्ट संदेश
विनय कुमार ने कहा कि भारत एक बाजार आधारित अर्थव्यवस्था है और ऊर्जा खरीद का निर्णय व्यावसायिक मूल्य और रणनीतिक साझेदारी के आधार पर होता है। उन्होंने कहा:
“हमारी प्राथमिकता है कि भारत के लोगों की ऊर्जा सुरक्षा बनी रहे। तेल हम वहीं से खरीदेंगे जहां से हमें सबसे बेहतर सौदा मिलेगा, चाहे वो रूस हो या कोई और देश।”
राजदूत की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब अमेरिका की ट्रंप सरकार भारत पर लगातार दबाव बना रही है कि वह रूस से तेल खरीदना बंद करे। इसके तहत भारत पर कुल मिलाकर 50% का टैरिफ लागू हो गया है।
🌍 अमेरिका और यूरोप भी कर रहे हैं रूस से व्यापार
राजदूत विनय कुमार ने एक अहम बिंदु उठाया कि अमेरिका और यूरोप के देश भी आज रूस के साथ व्यापार कर रहे हैं, ऐसे में भारत को एकतरफा नैतिकता सिखाना उचित नहीं। उन्होंने कहा कि व्यापार को राजनीतिक हथियार बनाना गलत है, खासकर तब जब बात एक देश की आवश्यकताओं और जनसंख्या की जरूरतों की हो।
🛢️ भारत तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा क्रूड ऑयल आयातक है और 2022 के बाद से रूस से तेल आयात में भारी बढ़ोतरी हुई है। भारत ने रूस से डिस्काउंट पर तेल खरीदकर अपनी ऊर्जा लागत को नियंत्रण में रखा, जिससे देश की आर्थिक स्थिरता को बल मिला।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ की आलोचना करते हुए कहा था:
“हम वो करेंगे जो हमारे नागरिकों के हित में होगा। भारत को यह नहीं बताया जा सकता कि उसे कहां से तेल खरीदना चाहिए।”
💱 भुगतान व्यवस्था और व्यापार संतुलन
राजदूत विनय कुमार ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत-रूस के बीच तेल आयात को लेकर भुगतान व्यवस्था पूरी तरह से सुरक्षित और सुव्यवस्थित है। दोनों देशों के बीच राष्ट्रीय मुद्राओं में लेन-देन की कार्यशील प्रणाली मौजूद है, जिससे डॉलर आधारित प्रतिबंधों का असर कम होता है।
साथ ही, उन्होंने यह भी माना कि भारत का रूस को निर्यात अभी भी कम है, लेकिन भविष्य में ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, टेक्सटाइल और निर्माण सामग्री जैसे क्षेत्रों में व्यापार बढ़ाया जाएगा।
✅ निष्कर्ष
भारत ने एक बार फिर यह साफ कर दिया है कि वह अपनी संप्रभुता और राष्ट्रीय हितों से समझौता नहीं करेगा। अमेरिका के टैरिफ दबाव के बावजूद भारत ने रूस से सस्ता तेल खरीदना जारी रखा है और आगे भी यही नीति अपनाएगा। राजदूत विनय कुमार की स्पष्टवाणी यह दर्शाती है कि भारत दबाव में नहीं, बल्कि अपने विवेक और जरूरतों के आधार पर निर्णय लेता है।
इस पूरे प्रकरण में भारत ने न सिर्फ अपनी रणनीतिक स्वायत्तता को दर्शाया है, बल्कि वैश्विक मंच पर एक न्यायसंगत और व्यावहारिक दृष्टिकोण भी प्रस्तुत किया है।