संयुक्त अरब अमीरात (UAE) जैसे शुष्क और रेगिस्तानी देश में भारी बारिश और बाढ़ की खबरें अब असामान्य नहीं रह गई हैं। हाल ही में दुबई और अबू धाबी सहित यूएई के बड़े हिस्सों में हुई मूसलाधार बारिश ने जनजीवन को पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है। जहाँ एक ओर सड़कें दरिया बन गईं, वहीं दूसरी ओर प्रशासन को रेड अलर्ट जारी कर लोगों को घरों में रहने की सलाह देनी पड़ी।
इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे कि आखिर एक रेगिस्तानी देश में इतनी भारी बारिश क्यों हो रही है और इसके पीछे के वैज्ञानिक कारण क्या हैं।
यूएई में बारिश का तांडव और प्रशासनिक प्रतिक्रिया
गुरुवार देर रात से शुरू हुई बारिश ने शुक्रवार सुबह तक दुबई और अबू धाबी के निचले इलाकों को जलमग्न कर दिया। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए यूएई सरकार ने त्वरित कदम उठाए:
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वर्क फ्रॉम होम: सरकारी कर्मचारियों को घर से काम करने के निर्देश दिए गए और निजी क्षेत्र को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित किया गया।
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सार्वजनिक स्थलों की बंदी: एहतियात के तौर पर समुद्र तटों (beaches), सार्वजनिक पार्कों और प्रमुख पर्यटन स्थलों को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया।
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सुरक्षा चेतावनी: नेशनल सेंटर ऑफ मीटेरोलॉजी (NCM) ने ओलावृष्टि, बिजली गिरने और तेज हवाओं की चेतावनी जारी की।
रेगिस्तान में बाढ़ क्यों? बुनियादी ढांचे की सीमाएं
यूएई का भौगोलिक ढांचा मुख्य रूप से रेतीला है। ऐतिहासिक रूप से यहाँ साल भर में औसतन 100 मिलीमीटर से भी कम बारिश होती है। इसी कारण यहाँ के शहरों (दुबई, शारजाह, अबू धाबी) का ड्रेनेज सिस्टम (जल निकासी प्रणाली) अत्यधिक वर्षा को सहने के लिए डिजाइन नहीं किया गया है। जब कम समय में 'क्लाउडबर्स्ट' जैसी स्थिति बनती है, तो पानी सोखने के बजाय सड़कों और अंडरपासों में जमा हो जाता है, जिससे बाढ़ जैसे हालात बन जाते हैं।
क्या है इस असामान्य बारिश की वैज्ञानिक वजह?
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, गल्फ क्षेत्र में इस बदलाव के पीछे मुख्य रूप से दो बड़े कारक जिम्मेदार हैं:
1. लो-प्रेशर सिस्टम (Low-Pressure System)
वर्तमान में लाल सागर (Red Sea) और अरब सागर के ऊपर एक गहरा कम दबाव का क्षेत्र बना हुआ है। यह सिस्टम समुद्र की नमी से भरी गर्म हवाओं को खींचकर रेगिस्तानी इलाकों की ओर धकेलता है। जब यह नमीयुक्त हवा ऊपर उठती है, तो भारी गरज वाले बादलों का निर्माण होता है, जो अचानक मूसलाधार बारिश का कारण बनते हैं।
2. जलवायु परिवर्तन (Climate Change)
ग्लोबल वार्मिंग ने पूरी दुनिया के मौसम चक्र को बदल दिया है। विज्ञान का सरल नियम है कि गर्म हवा अधिक नमी धारण कर सकती है। जैसे-जैसे खाड़ी क्षेत्र का तापमान बढ़ रहा है, वातावरण में वाष्पीकरण (Evaporation) तेज हो रहा है। यही वजह है कि अब जब भी बारिश होती है, वह कम समय में बहुत अधिक मात्रा में होती है, जिसे 'एक्सट्रीम वेदर इवेंट' कहा जाता है।
भविष्य की चुनौतियां
यूएई और कतर जैसे देशों के लिए यह बारिश एक चेतावनी है। विशेषज्ञों का मानना है कि भविष्य में ऐसी घटनाएं और बार-बार होंगी। इससे निपटने के लिए अब इन देशों को अपनी शहरी योजना (Urban Planning) में बदलाव करना होगा और भारी जल निकासी प्रणालियों में निवेश करना होगा।
यह स्थिति स्पष्ट करती है कि प्रकृति का संतुलन बिगड़ने पर रेगिस्तान भी बाढ़ से अछूते नहीं रह सकते। भारत जैसे पड़ोसी देशों के लिए भी यह एक सबक है कि जलवायु परिवर्तन अब भविष्य की नहीं, बल्कि वर्तमान की एक कड़वी हकीकत है।