अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने मंगलवार को व्हाइट हाउस में एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत गाजा पट्टी में चल रहे हिंसक संघर्ष को तत्काल युद्धविराम घोषित कर दिया गया है. इस समझौते को ट्रम्प प्रशासन की 'मेक मिडिल ईस्ट ग्रेट अगेन' पहल के एक महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में देखा जा रहा है, जिसने 18 महीनों से चल रही हमास और इजरायली सेना के बीच की जंग समाप्त होने की उम्मीद जगा दी है.
इस शांति समझौते का तत्काल और सबसे बड़ा असर वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ने की उम्मीद है. अर्थशास्त्रियों का मानना है कि लाल सागर में जहाजरानी के सुरक्षित हो जाने के कारण विश्व स्तर पर तेल की कीमतों में 10 से 15% तक की गिरावट आ सकती है. यह गिरावट वैश्विक महंगाई पर अंकुश लगाने में महत्वपूर्ण साबित होगी. समझौते की खबर आते ही ग्लोबल मार्केट में सकारात्मक प्रतिक्रिया देखने को मिली, जहां डाउ जोन्स इंडेक्स 2% ऊपर बंद हुआ.
पुनर्निर्माण के लिए $50 अरब का विशाल फंड
इस समझौते में गाजा के पुनर्निर्माण के लिए 50 अरब डॉलर का एक विशाल फंड स्थापित करने का प्रावधान है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस पुनर्निर्माण प्रयास में अमेरिका 20 अरब डॉलर और यूरोपीय संघ (EU) 15 अरब डॉलर का महत्वपूर्ण योगदान देंगे. इस सफलता पर बोलते हुए राष्ट्रपति ट्रम्प ने कहा कि यह उनके दूसरे कार्यकाल की सबसे बड़ी विदेश नीति की जीत है. उन्होंने घोषणा की कि "अब मध्य पूर्व में शांति का युग शुरू हो रहा है," और यह समझौता न केवल क्षेत्रीय बल्कि वैश्विक स्तर पर एक बड़ा बदलाव लाएगा. संयुक्त राष्ट्र ने भी इस पहल का स्वागत करते हुए इसे 'शांति की नई सुबह' करार दिया है.
ईरान और हिजबुल्लाह की चेतावनी
हालांकि, इस ऐतिहासिक युद्धविराम पर क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्वियों ने आशंका व्यक्त की है. ईरान और हिजबुल्लाह जैसे समूहों ने चेतावनी दी है कि यह युद्धविराम अस्थायी हो सकता है, जो क्षेत्र में शांति की राह में संभावित चुनौतियों का संकेत देता है.
भारत को मिलेगी बड़ी राहत
भारत के लिए यह समझौता कई मायनों में राहत भरी सांस लेकर आया है. भारत अपनी जरूरत का 80% कच्चा तेल मध्य पूर्व से आयात करता है, और इस समझौते से देश की ऊर्जा सुरक्षा में स्थिरता आएगी. तेल की कीमतों में अपेक्षित कमी से भारत में पेट्रोल-डीजल के दाम घटेंगे, जिससे महंगाई पर अंकुश लगेगा और आम आदमी की जेब को राहत मिलेगी.
आर्थिक लाभ के अलावा, यह समझौता सामाजिक सुरक्षा भी सुनिश्चित करेगा. खाड़ी देशों में कार्यरत 40 लाख से अधिक भारतीय प्रवासी श्रमिकों को अब सुरक्षित वातावरण मिलेगा. कूटनीतिक मोर्चे पर, इजरायल के साथ भारत के रक्षा सौदों में वृद्धि होने की संभावना है, जिससे भारत की 'एक्ट ईस्ट' नीति और अधिक मजबूत होगी. यह समझौता मध्य पूर्व में शांति के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसके दूरगामी सकारात्मक परिणाम भारत और विश्व अर्थव्यवस्था के लिए अपेक्षित हैं.