अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'ट्रूथ सोशल' पर एक बड़ा अपडेट साझा करते हुए बताया कि उन्होंने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से फोन पर बात की है। ट्रंप ने इस बातचीत को "बेहद सकारात्मक" करार दिया। जानकारों का मानना है कि ट्रंप, जेलेंस्की से मिलने से पहले पुतिन का रुख समझना चाहते थे ताकि वे एक ऐसा 'मिडल ग्राउंड' (मध्य मार्ग) तैयार कर सकें, जिसे दोनों पक्ष स्वीकार कर सकें।
ट्रंप का '20-पॉइंट पीस प्लान'
ट्रंप और जेलेंस्की के बीच होने वाली मुलाकात का केंद्र 20-सूत्रीय शांति योजना (20-point Peace Plan) है। ट्रंप ने स्पष्ट कर दिया है कि इस समझौते में वे खुद एक 'अंतिम निर्णायक' (Final Arbiter) की भूमिका निभाएंगे।
इस योजना के प्रमुख संभावित बिंदु निम्नलिखित हो सकते हैं:
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युद्ध विराम: तात्कालिक तौर पर अग्रिम मोर्चों पर गोलीबारी रोकना।
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बफर जोन: विवादित क्षेत्रों में एक सुरक्षा घेरा तैयार करना।
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सुरक्षा गारंटी: यूक्रेन को भविष्य के हमलों से बचाने के लिए ठोस अंतरराष्ट्रीय वादे।
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ऊर्जा और पुनर्निर्माण: रूसी ऊर्जा आपूर्ति और युद्ध से तबाह हुए बुनियादी ढांचे का पुनरुद्धार।
जेलेंस्की की दुविधा और नाटो का समर्थन
अमेरिका पहुंचने से पहले राष्ट्रपति जेलेंस्की ने कनाडा, जर्मनी, फिनलैंड और डेनमार्क जैसे नाटो (NATO) देशों के नेताओं से मुलाकात कर अपना समर्थन मजबूत किया है। जेलेंस्की का रुख अभी भी कड़ा है। उनका कहना है कि वे किसी ऐसी शर्त पर शांति नहीं करेंगे जो यूक्रेन की संप्रभुता और अखंडता से समझौता करती हो।
चुनौती यह है कि पुतिन उन क्षेत्रों पर अपना दावा छोड़ने को तैयार नहीं हैं जिन पर रूसी सेना का कब्जा है, जबकि जेलेंस्की 1991 की सीमाओं की वापसी चाहते हैं। अब पूरी दुनिया की नजरें इस बात पर हैं कि ट्रंप जेलेंस्की को पुतिन की शर्तों या किसी नए समझौते के लिए कैसे मनाते हैं।
ट्रंप के लिए कूटनीतिक साख का सवाल
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने चुनाव अभियान के दौरान बार-बार वादा किया था कि वे "24 घंटे में युद्ध रुकवा सकते हैं।" हालांकि यह इतना आसान नहीं रहा है, लेकिन पुतिन का सकारात्मक रुख यह संकेत देता है कि रूस भी अब इस युद्ध से बाहर निकलने का रास्ता खोज रहा है। यदि ट्रंप इस बार सफल होते हैं, तो यह उनकी विदेश नीति की सबसे बड़ी जीत मानी जाएगी।
निष्कर्ष
मार-ए-लागो में होने वाली ट्रंप-जेलेंस्की बैठक केवल दो नेताओं की मुलाकात नहीं है, बल्कि यह दूसरे विश्व युद्ध के बाद यूरोप के सबसे बड़े संघर्ष के भविष्य का फैसला करेगी। ट्रंप की पुतिन से हुई "सकारात्मक" बात ने नींव तो रख दी है, लेकिन इमारत तभी बनेगी जब जेलेंस्की और पुतिन दोनों अपने जिद्दी रुख में थोड़ी नरमी दिखाएंगे।