राष्ट्रीय मिति माघ 30, शक संवत 1946, फाल्गुन कृष्ण, षष्ठी, बुधवार, विक्रम संवत् 2081। सौर फाल्गुन मास प्रविष्टे 08, शब्बान 20, हिजरी 1446 (मुस्लिम) तदनुसार अंग्रेजी तारीख 19 फरवरी सन् 2025 ई॰। सूर्य उत्तरायण, दक्षिण गोल, बसन्त ऋतुः। राहुकाल मध्याह्न 12 बजे से 01 बजकर 30 मिनट तक। षष्ठी तिथि प्रातः 07 बजकर 33 मिनट तक उपरांत सप्तमी तिथि का आरंभ।
श्री सर्वेश्वर पञ्चाङ्गम् 🌞 🌕
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🚩🔱 धर्मो रक्षति रक्षितः🔱 🚩
🌅पंचांग- 19.02.2025🌅
युगाब्द - 5125
संवत्सर - कालयुक्त
विक्रम संवत् -2081
शाक:- 1946
ऋतु- बसंत
सूर्य __ उत्तरायण
मास - फाल्गुन
पक्ष _ कृष्णपक्ष
वार - बुधवार
तिथि_षष्ठी 07:31:43
नक्षत्र स्वाति 10:38:42
योग वृद्वि 10:47:01
करण वणिज 07:31:43
करण विष्टि भद्र 20:47:14
चन्द्र राशि - तुला till 30:48
चन्द्र राशि -वृश्चिक from 30:48
सूर्य राशि - कुम्भ
🚩🌺 आज विशेष 🌺🚩
✍️ आज के दिन व्यापार वृद्धि हेतु हरी वस्तु का दान कर सकते हैं।
🍁 अग्रिम (आगामी पर्वोत्सव 🍁
👉 विजया एकादशी व्रत
24 फर. 2025 (सोमवार)
👉 प्रदोष व्रत/ व्यतिपात पुण्यं
25 फर. 2025 (मंगलवार)
👉 महाशिवरात्रि व्रत
26 फर. 2025 (बुधवार)
👉 देवपितृ कार्य अमावस
27 फर. 2025 (गुरुवार)
🕉️🚩 यतो धर्मस्ततो जयः🚩🕉️
🕉 प्रेरक कहानी 🕉
⚡ सुनार की तकदीर ⚡
एक बार किसी देश का राजा अपनी प्रजा का हाल-चाल पूछने के लिए गाँवों में घूम रहा था।
घूमते-घूमते उसके कुर्ते के सोने के बटन की झालर टूट गई, उसने अपने मंत्री से पूछा, कि इस गांव में कौन सा सुनार है, जो मेरे कुर्ते के लिए नया बटन बना सके?
उस गांव में सिर्फ एक ही सुनार था, जो हर तरह के गहने बनाता था, उसको राजा के सामने ले जाया गया।
राजा ने कहा, कि तुम मेरे कुर्ते का बटन बना सकते हो ?
सुनार ने कहा, हुज़ूर यह कोई मुश्किल काम थोड़े ही है ! उसने, कुर्ते का दूसरा बटन देखकर, नया बना दिया और राजा के कुर्ते में फिट कर दिया।।
राजा ने खुश होकर सुनार से पूछा, कि कितने पैसे दूं ?
सुनार ने कहा :- "महाराज रहने दो, छोटा सा काम था।"
उसने, मन में सोचा, कि सोना राजा का था, उसने तो सिर्फ मजदूरी की है और राजा से क्या मजदूरी लेनी है...!
राजा ने फिर से सुनार को कहा कि, नहीं-नहीं, बोलो कितने दूं ?
सोनार ने सोचा, की दो रूपये मांग लेता हूँ। फिर मन में विचार आया, कि कहीं राजा यह न सोच ले कि एक बटन बनाने का मेरे से दो रुपये ले रहा है, तो गाँव वालों से कितना लेता होगा, और कोई सजा न दे दे क्योंकि उस जमाने में दो रुपये की कीमत बहुत होती थी।
सुनार ने सोच-विचार कर, राजा से कहा कि :- "महाराज जो भी आपकी इच्छा हो, दे दो।"
अब राजा तो राजा था। उसको अपने हिसाब से देना था। कहीं देने में उसकी इज्जत ख़राब न हो जाये और, उसने अपने मंत्री को कहा, कि इस सुनार को दो गांव दे दो, यह हमारा हुक्म है।
यहाँ सोनी जी, सिर्फ दो रुपये की मांग का सोच रहे थे, मगर, राजा ने उसको दो गांव दे दिए।
इसी तरह, जब हम प्रभु पर सब कुछ छोड़ते हैं, तो वह अपने हिसाब से देता है और मांगते हैं तो सिर्फ हम मांगने में कमी कर जाते हैं। देने वाला तो पता नहीं क्या देना चाहता है, लेकिन, हम अपनी हैसियत से तुच्छ वस्तु मांग लेते हैं.
संत-महात्मा कहते है, कि हमें तो मांगना भी नहीं आता इसलिए ईश्वर को सब कुछ अपना सर्मपण कर दो, उनसे कभी कुछ मत मांगों, जो वो अपने आप दें, बस उसी से संतुष्ट रहो। फिर देखो उसकी लीला, वारे न्यारे हो जाएंगे। जीवन मे धन के साथ "सन्तुष्टि" का होना जरूरी है..!!
जय जय श्री सीताराम👏
जय जय श्री ठाकुर जी की👏
(जानकारी अच्छी लगे तो अपने इष्ट मित्रों को जन हितार्थ अवश्य प्रेषित करें।)
ज्यो.पं.पवन भारद्वाज(मिश्रा)
व्याकरणज्योतिषाचार्य
पुजारी -श्री राधा गोपाल मंदिर
(जयपुर)