ताजा खबर

Muhammad Ali Jinnah Death Anniversary : वो भारतीय डॉक्टर बंटवारे के पहले से जानता था कि जिन्ना सालभर भी नहीं जी पाएंगे

Photo Source :

Posted On:Wednesday, February 19, 2025

मुहम्मद अली जिन्ना (अंग्रेज़ी: Muhammad Ali Jinnah, जन्म- 25 दिसंबर, 1876; मृत्यु- 11 सितंबर 1948) ब्रिटिश भारत के प्रमुख नेता और मुस्लिम लीग के अध्यक्ष भी थे। जिन्ना कराची के एक संपन्न व्यापारी के घर जन्मे थे और सबसे बड़े बेटे थे। मुहम्मद अली जिन्ना ने बाद में अपना नाम संक्षिप्त करके 'जिन्ना' रख लिया था। जिन्ना के पिता ने जिन्ना को लंदन में एक व्यापारी कंपनी में प्रशिक्षु के रूप में भर्ती करा दिया था। लंदन पहुँचने के थोड़े समय बाद ही मुहम्मद अली जिन्ना व्यापार छोड़कर क़ानून की पढ़ाई में लग गए थे।

राजनीति में प्रवेश

मुहम्मद अली जिन्ना अपनी क़ानून की पढ़ाई पूरी करके युवा बैरिस्टर के रूप में बम्बई (वर्तमान मुम्बई) में अपना भाग्य आजमाने की सोचने लगे। बाद के दिनों में बम्बई में उनकी बैरिस्टर अच्छी चलने लगी। बाद में वक़ील के रूप में जमने के बाद जिन्ना ने राजनीति में सक्रिय रुचि लेनी आरंभ कर दी। उन्होंने दादाभाई नौरोजी तथा गोपालकृष्ण गोखले जैसे कांग्रेस के नरमदलीय नेताओं के अनुयायी के रूप में भारतीय राजनीति में प्रवेश किया। यह एक विडंबना थी कि वह 1906 में हिन्दुओं का ही प्रभुत्व रखने वाली भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के सदस्य बने। वे हिन्दू-मुस्लिम एकता के उत्साही समर्थक भी थे।

लखनऊ समझौता

1910 ई. में वे बम्बई के मुस्लिम निर्वाचन क्षेत्र से केन्द्रीय लेजिस्लेटिव कौंसिल के सदस्य चुने गए, 1913 ई. में मुस्लिम लीग में शामिल हुए और 1916 ई. में उसके अध्यक्ष हो गए। इसी हैसियत से उन्होंने संवैधानिक सुधारों की संयुक्त कांग्रेस लीग योजना पेश की। इस योजना के अंतर्गत कांग्रेस लीग समझौते से मुसलमानों के लिए अलग निर्वाचन क्षेत्रों तथा जिन प्रान्तों में वे अल्पसंख्यक थे, वहाँ पर उन्हें अनुपात से अधिक प्रतिनिधित्व देने की व्यवस्था की गई। इसी समझौते को 'लखनऊ समझौता' कहते हैं।

ग़लत फ़हमी

जिन्ना कहते थे कि दोनों समुदाय इकट्ठे हो जाएँ तो गोरों पर हिंदुस्तान से चले जाने के लिए अधिक दबाव डाला जा सकता है। जिन्ना भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के समर्थक थे, परन्तु गांधीजी के असहयोग आंदोलन का उन्होंने तीव्र विरोध किया और इसी प्रश्न पर कांग्रेस से वह अलग हो गए। इसके बाद से उनके ऊपर हिन्दू राज्य की स्थापना के भय का भूत सवार हो गया। उन्हें यह ग़लत फ़हमी हो गई कि हिन्दू बहुल हिंदुस्तान में मुसलमानों को उचित प्रतिनिधित्व कभी नहीं मिल सकेगा। सो वह एक नए राष्ट्र पाकिस्तान की स्थापना के घोर समर्थक और प्रचारक बन गए। उनका कहना था कि अंग्रेज़ लोग जब भी सत्ता का हस्तांतरण करें, उन्हें उसे हिन्दुओं के हाथ में न सौंपें, हालाँकि वह बहुमत में हैं। ऐसा करने से भारतीय मुसलमानों को हिन्दुओं की अधीनता में रहना पड़ेगा। जिन्ना अब भारतीयों की स्वतंत्रता के अधिकार के बजाए मुसलमानों के अधिकारों पर अधिक ज़ोर देने लगे। उन्हें अंग्रेज़ों का सामान्य कूटनीतिक समर्थन मिलता रहा और इसके फलस्वरूप वे अंत में भारतीय मुसलमानों के नेता के रूप में देश की राजनीति में उभड़े।

कश्मीर मुद्दा तथा मृत्यु

मुहम्मद अली जिन्ना ने लीग का पुनर्गठन किया और 'क़ायदे आज़म' (महान नेता) के रूप में विख्यात हुए। 1940 ई. में उन्होंने धार्मिक आधार पर भारत के विभाजन तथा मुसलिम बहुसंख्यक प्रान्तों को मिलाकर पाकिस्तान बनाने की मांग की। बहुत कुछ उन्हीं वजह से 1947 ई. में भारत का विभाजन और पाकिस्तान की स्थापना हुई। पाकिस्तान के पहले गवर्नर-जनरल बनकर उन्होंने पाकिस्तान को एक इस्लामी राष्ट्र बनाया। पंजाब के दंगे तथा सामूहिक रूप से जनता का एक राज्य से दूसरे राज्य को निगर्मन उन्हीं के जीवनकाल में हुआ। भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर का मुद्दा भी उन्होंने ही खड़ा किया। 11 सितम्बर, 1948 ई. को कराची में उनकी मृत्यु हो गई।


उदयपुर और देश, दुनियाँ की ताजा ख़बरे हमारे Facebook पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें,
और Telegram चैनल पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें



You may also like !

मेरा गाँव मेरा देश

अगर आप एक जागृत नागरिक है और अपने आसपास की घटनाओं या अपने क्षेत्र की समस्याओं को हमारे साथ साझा कर अपने गाँव, शहर और देश को और बेहतर बनाना चाहते हैं तो जुड़िए हमसे अपनी रिपोर्ट के जरिए. Udaipurvocalsteam@gmail.com

Follow us on

Copyright © 2021  |  All Rights Reserved.

Powered By Newsify Network Pvt. Ltd.