22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 27 भारतीयों की मौत हो गई। यह हमला भारत के दिल को झकझोर कर रख गया है। 4 से 7 आतंकियों ने भारतीय सेना की वर्दी पहनकर न सिर्फ निर्दोष नागरिकों को निशाना बनाया, बल्कि उनके जीवन का सफर एक पल में खत्म कर दिया। इस हमले ने पाकिस्तान और उसकी सेना के खिलाफ पूरे देश में गुस्से की लहर दौड़ा दी है। लोग इस नरसंहार के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं और पाकिस्तानी आतंकवादियों के खिलाफ मुंहतोड़ जवाब की मांग कर रहे हैं।
लेकिन अब हर भारतीय के मन में एक ही सवाल है, इन 27 मौतों का बदला कौन लेगा? क्या यह 27 जिंदगी केवल एक आंकड़ा बनकर रह जाएंगी या भारत सरकार और सेना उनका न्याय सुनिश्चित करेगी?
आइए, हम जानते हैं वह 10 अहम सवाल जिनका जवाब हर भारतीय को चाहिए:
1. कितनी और कैसी तैयारी करके आए थे आतंकी?
आतंकी जब भारत की सीमा में घुसते हैं, तो उनकी योजना और तैयारी का स्तर हमेशा एक सवाल होता है। क्या उन्होंने स्थानीय इलाके के बारे में पूरी जानकारी हासिल की थी? क्या वे सैन्य वर्दी पहनकर भारतीय सुरक्षा बलों को धोखा देने की योजना बना रहे थे?
2. हमला करने के बाद कहां गए आतंकी?
यह सवाल बहुत अहम है क्योंकि हमला करने के बाद आतंकियों का बच निकलना सुरक्षा व्यवस्था की गंभीर कमजोरी को दर्शाता है। क्या सुरक्षाबल आतंकियों का पीछा करने में नाकाम रहे?
3. आतंकियों को सबसे पहले किसने देखा था?
आतंकी हमला होने से पहले किसी को भी आतंकियों के बारे में जानकारी क्यों नहीं मिली? क्या स्थानीय लोगों या सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें पहले नहीं देखा था?
4. आतंकियों की आखिरी लोकेशन क्या थी?
यह सवाल इसलिए अहम है क्योंकि आतंकियों की आखिरी लोकेशन का पता न लगाना सुरक्षा चूक को इंगित करता है। क्या सुरक्षाबलों ने उन्हें पकड़ने के लिए कड़ी कार्रवाई की?
5. क्या आतंकी हमला सुरक्षा में चूका का नतीजा था?
हमले के बाद सवाल उठता है कि क्या यह हमला सुरक्षा में चूक का परिणाम था? क्या सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह से पुख्ता नहीं थी?
6. कश्मीर में टूरिस्टों की सिक्योरिटी किसकी जिम्मेदारी थी?
कश्मीर में पर्यटकों की सुरक्षा का जिम्मा किसके पास था? क्या स्थानीय प्रशासन और सुरक्षाबल ने पर्यटकों के लिए पूरी सुरक्षा सुनिश्चित की थी?
7. क्या बैसरन घाटी के लिए सुरक्षाकर्मियों में कमी थी?
बैसरन घाटी में हुए इस हमले से यह सवाल उठता है कि क्या वहां सुरक्षाकर्मियों की पर्याप्त संख्या थी? क्या पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम थे ताकि इस प्रकार का हमला रोका जा सके?
8. हमले के अलर्ट को गंभीरता से क्यों नहीं लिया गया?
खुफिया एजेंसियों को आतंकी हमले की जानकारी मिलने के बावजूद, हमले के अलर्ट को गंभीरता से क्यों नहीं लिया गया? क्या प्रशासन ने इसे हल्के में लिया?
9. आतंकियों के घुसने की भनक भारतीय सेना को क्यों नहीं लगी?
सूचना के बावजूद भारतीय सेना को आतंकियों के घुसने की भनक क्यों नहीं लगी? क्या सुरक्षाबलों में कुछ कमी थी?
10. आतंकी हमले के इनपुट थे तो सुरक्षा क्यों नहीं बढ़ाई गई?
यदि खुफिया एजेंसियों के पास आतंकी हमले के इनपुट थे, तो सुरक्षा इंतजामों को और कड़ा क्यों नहीं किया गया? क्या प्रशासन ने इस खतरे को पूरी तरह से नजरअंदाज किया?
आतंकी हमले के इनपुट मिल चुके थे
सूत्रों के अनुसार, भारतीय खुफिया एजेंसियों को 15 दिन पहले ही कश्मीर में आतंकियों के घुसने का इनपुट मिल गया था। इसके साथ ही अमरनाथ यात्रा पर हमले के इनपुट भी मिले थे। स्लीपर सेल की मदद से रेकी किए जाने की खबर भी सामने आई थी। बावजूद इसके, बैसरन घाटी में यह हमला हुआ, जो इन सभी इनपुट्स को पुख्ता साबित करता है।
लेकिन सवाल यह है कि जब सरकार, सेना और सुरक्षा एजेंसियों को पहले से जानकारी थी, तो इस खतरे को गंभीरता से क्यों नहीं लिया गया?
क्या सरकार और सेना इस बार ठोस कदम उठाएगी?
यह सवाल पूरे देश के मन में है कि क्या प्रधानमंत्री मोदी और भारतीय सेना इस बार सिर्फ एयर स्ट्राइक जैसी कार्रवाई से संतुष्ट रहेंगी, या वे इस बार पाकिस्तान और आतंकवादियों के खिलाफ ठोस और निर्णायक कदम उठाएंगे।
भारत की जनता और विशेषकर पहलगाम में मारे गए उन 27 निर्दोष लोगों के परिवारों की आवाज़ अब उठ रही है—“हमें इंसाफ चाहिए!”
अब यह सरकार और सेना की जिम्मेदारी है कि वे इन सवालों के जवाब दें और आतंकवाद के खिलाफ एक सशक्त और निर्णायक कदम उठाएं।