मुंबई, 13 अगस्त, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। कलकत्ता हाईकोर्ट ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में ट्रेनी डॉक्टर से रेप-मर्डर केस की जांच CBI को सौंप दी। राज्य सरकार कल तक CBI को केस डायरी और दूसरे रिकॉर्ड ट्रांसफर करेगी। चीफ जस्टिस टीएस शिवगणनम की अध्यक्षता वाली डिवीजन बेंच ने केंद्रीय एजेंसी को मामले की जांच सौंपते हुए केवी राजेंद्रन मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया। कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि दुर्लभ मामलों में निष्पक्ष और सही जांच के लिए यह जरूरी है। दरअसल, शुक्रवार को आरजी कर हॉस्पिटल की इमरजेंसी बिल्डिंग के सेमिनार हॉल में 31 साल की ट्रेनी डॉक्टर का शव मिला था। वह नाइट ड्यूटी पर थीं। डॉक्टर के प्राइवेट पार्ट, आंखों और मुंह से खून बह रहा था। उसकी गर्दन की हड्डी भी टूटी हुई पाई गई थी। डॉक्टर की बॉडी के पास एक हेडफोन मिला था। पुलिस ने इस केस में कोलकाता पुलिस में काम करने वाले सिविक वॉलंटियर संजय रॉय को 9 अगस्त को गिरफ्तार किया गया था। CCTV कैमरे में संजय शुक्रवार सुबह करीब 4 बजे इमरजेंसी बिल्डिंग में घुसते हुए दिखा था। तब उसके गले में हेडफोन था। हालांकि, सुबह करीब 6 बजे बिल्डिंग से बाहर निकलते समय उसके गले में हेडफोन नहीं था।
हाईकोर्ट ने कहा कि हमने पुलिस को जांच के लिए समय दिया होता, लेकिन मामला अजीब है। घटना के 5 दिनों के बाद भी पुलिस किसी निष्कर्ष तक नहीं पहुंची है। इस बात की पूरी संभावना है कि सबूत मिटा दिए जाएंगे। इसलिए हमें लगता है कि मामला तुरंत CBI को ट्रांसफर किया जाना चाहिए। हाईकोर्ट ने घटना के बाद मेडिकल कॉलेज के तत्कालीन प्रिंसिपल डॉ संदीप कुमार घोष के इस्तीफे और दूसरी कॉलेज में उनकी नियुक्ति पर भी सवाल उठाए। कोर्ट ने कहा कि यह जानकर दुख होता है कि घटना को लेकर अस्पताल प्रशासन और तत्कालीन प्रिंसिपल संदीप कुमार घोष सक्रिय नहीं थे। प्रिंसिपल ने अपना इस्तीफा दे दिया, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि उनके इस्तीफे पर क्या आदेश जारी किए गए थे। बल्कि इस्तीफे के 12 घंटे के भीतर 12 अगस्त को उन्हें एनएमसी, कोलकाता का प्रिंसिपल बना दिया गया। यह समझना मुश्किल है कि उन्होंने इस्तीफा क्यों दिया और दूसरे मेडिकल कॉलेज का प्रिंसिपल बनाने की क्या जल्दी थी। हाईकोर्ट ने डॉ संदीप कुमार घोष को छुट्टी पर जाने का आदेश दिया है। कोर्ट ने बंगाल सरकार से कहा कि उनको लंबी छुट्टी पर भेजिए। ऐसा नहीं हुआ तो हमें ऑर्डर पास करना होगा। उन्हें कहीं काम करने की जरूरत नहीं है। उनको कहिए घर पर रहें। कोर्ट ने सरकार से यह भी पूछा कि पुलिस ने डॉ संदीप घोष से अब तक पूछताछ क्यों नहीं की है। हाईकोर्ट ने कहा कि जांच में कुछ मिसिंग है। जब डॉ. संदीप घोष ने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए पद से इस्तीफा दिया था, तो उन्हें इस्तीफे के तुरंत बाद दूसरे मेडिकल कॉलेज में कैसे नियुक्त किया जा सकता है? उनसे सबसे पहले पूछताछ होनी चाहिए थी, जबकि ऐसा नहीं हुआ।
वहीं, डॉ संदीप घोष ने बीते दिनों यह कहते हुए इस्तीफा दिया था कि ट्रेनी डॉक्टर मेरी बेटी की तरह थी। एक पेरेंट के रूप में, मैं इस्तीफा दे रहा हूं। हालांकि, 12 घंटे भीतर राज्य सरकार ने उन्हें कलकत्ता मेडिकल कॉलेज और अस्पताल का प्रिंसिपल नियुक्त कर दिया। इसके लेकर डॉक्टर्स काफी नाराज हैं। कलकत्ता हाईकोर्ट ट्रेनी डॉक्टर से रेप-मर्डर केस से जुड़ी कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है। इनमें एक याचिका ट्रेनी डॉक्टर के माता-पिता की शामिल है, जिसमें उन्होंने अपनी बेटी की मौत की जांच कोर्ट की निगरानी में कराने की मांग की थी।