मुंबई, 01 अगस्त, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। सुप्रीम कोर्ट ने स्वाति मालीवाल से मारपीट के मामले में CM केजरीवाल के PA बिभव कुमार की जमानत पर सुनवाई की। इस दौरान जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की बेंच ने पूछा कि क्या मुख्यमंत्री का आवास निजी बंगला है। हमें इस बात की हैरानी है कि क्या इस तरह के गुंडे को सीएम आवास में काम करना चाहिए। बेंच ने पूछा, बिभव को पीड़ित की फिजिकल कंडीशन पता थी, लेकिन यह आदमी उसे पीटता रहता है। उसे क्या लगता है, सत्ता उसके सिर पर चढ़ गई है। इसके बावजूद भी आप उसकी पैरवी कर रहे हैं। बेंच ने बिभव की जमानत के खिलाफ दायर याचिका पर दिल्ली पुलिस को भी नोटिस जारी किया है। साथ ही मामले की चार्जशीट पढ़ने के लिए समय लेते हुए सुनवाई 7 अगस्त तक के लिए टाल दी है।
दरअसल, सुनवाई के दौरान बिभव की ओर से एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी कि वह 75 दिनों से हिरासत में है। उसके खिलाफ चार्जशीट भी दाखिल की जा चुकी है। उन्होंने दलील दी कि मालीवाल के बयान में विरोधाभास है। वह घटना के दिन पुलिस स्टेशन गई थीं, लेकिन FIR दर्ज कराए बिना वापस आ गईं। सिंघवी ने कहा कि इन सभी आरोपों पर सुनवाई की जा सकती है। फिलहाल वह केवल जमानत मांग रहे हैं। वह जमानत के हकदार हैं, क्योंकि वह सबूतों से छेड़छाड़ नहीं कर सकते या गवाहों को प्रभावित नहीं कर सकते। हालांकि बेंच ने इस दलील पर आपत्ति जताई। जस्टिस सूर्यकांत ने बिभव के वकील सिंघवी से पूछा कि मालीवाल ने इमरजेंसी सर्विस 112 किए गए कॉल से क्या संकेत मिलता है। यह कॉल आपके इस दावे को झुठलाती है कि मामला मनगढ़ंत था। हत्यारों, लुटेरों को भी जमानत दी जाती है, लेकिन मालीवाल केस में आरोप बिभव के खिलाफ भारी पड़ते हैं। हम खुली अदालत में पढ़ना नहीं चाहते, लेकिन जब वह उसे रुकने के लिए कहती है, यह आदमी पीटना जारी रखता है। वह क्या सोचता है, सत्ता उसके सिर पर चढ़ गई है? बेंच ने कहा, अगर इस तरह का व्यक्ति गवाहों को प्रभावित नहीं कर सकता, तो कौन कर सकता है। रिकॉर्ड देखें, क्या ड्राइंग रूम (सीएम आवास के) में कोई ऐसा व्यक्ति था, जिसने उनके खिलाफ बोलने की हिम्मत की। जस्टिस कांत ने कहा- हमें लगता है कि उन्हें शर्म भी नहीं आई।
आपको बता दें, इससे पहले 30 जुलाई को दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट में स्वाति मालीवाल केस पर सुनवाई हुई। जिस पर मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट गौरव गोयल ने 16 जुलाई को दायर की गई चार्जशीट पर संज्ञान लेते हुए डॉक्यूमेंट्स की जांच के लिए मामले को 24 अगस्त तक के लिए लिस्ट कर दिया। 500 पन्नों की इस चार्जशीट में करीब 50 गवाहों के बयान हैं। विभव के खिलाफ 16 मई को FIR दर्ज की गई थी और उन्हें 18 मई को गिरफ्तार किया गया था। तब से वे जेल में हैं। सुप्रीम कोर्ट से पहले बिभव ने दिल्ली हाईकोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी। जिस पर सुनवाई करते हुए 12 जुलाई को हाईकोर्ट ने राहत देने से इनकार कर दिया था।