हर वर्ष 8 मार्च को मनाया जाने वाला अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस महिलाओं की उपलब्धियों का उत्सव और उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता का प्रतीक है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा 1977 में आधिकारिक रूप से मान्यता प्राप्त इस दिवस का उद्देश्य लैंगिक समानता की दिशा में प्रगति को रेखांकित करना और शेष चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करना है।
2025 का विषय: 'कार्यवाही में तेजी लाना'
इस वर्ष का विषय 'कार्यवाही में तेजी लाना' है, जो महिलाओं के अधिकारों के प्रति त्वरित और प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता को रेखांकित करता है। यह विषय इस बात पर जोर देता है कि राजनीतिक परिवर्तनों के बीच, पहले से हासिल किए गए अधिकारों के खोने का खतरा बना रहता है, इसलिए सक्रियता आवश्यक है।
महिला अधिकारों पर बढ़ते हमले
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने महिला दिवस की पूर्व संध्या पर चिंता व्यक्त की कि महिलाओं के अधिकारों पर हमले बढ़ रहे हैं, विशेष रूप से डिजिटल क्षेत्र में। उन्होंने कहा कि डिजिटल उपकरणों का उपयोग महिलाओं की आवाज़ को दबाने, पूर्वाग्रह फैलाने और उत्पीड़न को बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा है, जिससे वास्तविक जीवन में हिंसा की घटनाएं बढ़ रही हैं।
भारत में कार्यक्रम और पहल
भारत में, अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर विभिन्न कार्यक्रम और पहल आयोजित की जाती हैं। इनमें से एक प्रमुख कार्यक्रम 'लवासा वूमेन्स ड्राइव' है, जो 2009 से हर वर्ष आयोजित हो रहा है। यह रैली महिलाओं के स्वास्थ्य और कल्याण से संबंधित मुद्दों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए आयोजित की जाती है, विशेष रूप से कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के प्रति। इस कार्यक्रम में मुंबई और पुणे से महिलाएं भाग लेती हैं, जो लवासा तक ड्राइव करती हैं, और इसके माध्यम से महिला सशक्तिकरण का संदेश फैलाती हैं।
आगे की राह
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2025 का विषय 'कार्यवाही में तेजी लाना' हमें याद दिलाता है कि लैंगिक समानता की दिशा में अभी भी बहुत काम किया जाना बाकी है। यह दिवस न केवल महिलाओं की उपलब्धियों का जश्न मनाने का अवसर है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करने का समय है कि हम सभी मिलकर एक समान और न्यायसंगत समाज के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं।