मुंबई, 05 सितम्बर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। भारत की आबादी अब धीरे-धीरे उम्रदराज होती जा रही है। रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया की 2023 की सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (SRS) रिपोर्ट के अनुसार देश में 0 से 14 साल के बच्चों की संख्या लगातार घट रही है, जबकि बुजुर्गों की हिस्सेदारी बढ़ती जा रही है। वहीं कामकाजी उम्र यानी 15 से 59 साल के लोगों की संख्या में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। रिपोर्ट में बताया गया कि देश की कुल प्रजनन दर 1971 में 5.2 थी, जो घटकर 2023 में 1.9 रह गई। 1971 से 1981 के बीच 0 से 14 साल के बच्चों की आबादी 41.2% से घटकर 38.1% रह गई थी। इसके बाद 1991 से 2023 के बीच यह और घटकर 24.2% हो गई। यानी पांच दशकों में बच्चों की हिस्सेदारी में करीब 17% की गिरावट आई है। इसके कई आर्थिक और सामाजिक असर देखने को मिल सकते हैं। कार्यबल का आकार भविष्य में छोटा हो सकता है, जिससे विकास की गति पर असर पड़ने की आशंका है। बच्चों की संख्या कम होने से शिक्षा और स्वास्थ्य पर प्रति बच्चे निवेश बढ़ेगा, लेकिन दूसरी ओर बुजुर्गों की देखभाल करने वाले कम हो जाएंगे।
कामकाजी उम्र की आबादी यानी 15 से 59 साल के लोगों की हिस्सेदारी में लगातार इजाफा हो रहा है। 1971 से 1981 के बीच यह 53.4% से बढ़कर 56.3% हुई थी। 1991 से 2023 के बीच यह और बढ़कर 66.1% हो गई। दिल्ली में इस आयु वर्ग की हिस्सेदारी सबसे अधिक 70.8% है, जबकि बिहार में यह सबसे कम 60.1% दर्ज की गई। शहरी इलाकों में यह औसत 68.8% और ग्रामीण क्षेत्रों में 64.6% है। जम्मू-कश्मीर के ग्रामीण इलाकों में महिलाओं की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा 70.1% रही। रिपोर्ट बताती है कि बुजुर्गों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। 2023 में 60 साल से ऊपर की आबादी 9.7% हो गई है। इनमें सबसे ज्यादा बुजुर्ग केरल में पाए गए, जहां इनकी हिस्सेदारी 15.1% है। इसके बाद तमिलनाडु 14% और हिमाचल प्रदेश 13.2% के साथ सबसे आगे हैं। इस बीच देश की शिशु मृत्यु दर में भी उल्लेखनीय गिरावट दर्ज हुई है। 2013 में जहां यह प्रति हजार जीवित जन्म पर 40 थी, वहीं 2023 में घटकर 25 रह गई। यानी बीते दस साल में इसमें 37.5% की कमी आई है। रिपोर्ट के मुताबिक शिशु मृत्यु दर किसी भी देश की स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता का अहम पैमाना है।